The Real truth about white milk : सफेद दूध का असली सच

 

 

The Real truth about white milk : सफेद दूध का असली सच

 

दूध को समझना  :  जोखिम और लाभ –

 

  • क्या आप जानते हैं कि कई आहारों में मुख्य रूप से शामिल दूध ने अपने स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर बहस छेड़ दी है?

  • हालांकि यह कैल्शियम और विटामिन से भरपूर है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, लेकिन कुछ लोगों को लैक्टोज असहिष्णुता या डेयरी एलर्जी का सामना करना पड़ता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं।

  • इसके अलावा, डेयरी में एंटीबायोटिक्स और ग्रोथ हार्मोन के बारे में चिंताएँ पैदा हो सकती हैं। हालाँकि, जब जिम्मेदारी से सोर्स किया जाता है, तो दूध आपके भोजन में अत्यधिक पौष्टिक हो सकता है।

  • आइए इन कारकों को संतुलित करें और समझदारी से चुनें! नीचे टिप्पणियों में दूध के साथ अपने विचार या अनुभव साझा करें!

 

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The Real truth about white milk : सफेद दूध का असली सच

 

  • हम अक्सर अपने घर परिवार में यह सुनते हुए बड़े होते हैं, कि दूध पीना बेहद जरूरी है, इससे शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं, कई लोगों को रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध पीने की आदत होती है| भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2022-23 में यहां 23 करोड़ टन से भी ज्यादा दूध का उत्पादन हुआ लेकिन यह भी एक सच है| कि मनुष्यों को छोड़कर कोई दूसरा प्राणी नवजात अवस्था के बाद किसी दूसरे प्राणी का दूध नहीं पीता है| इसमें सवाल ही उठता है कि क्या दूध ऐसी चीज है जिसे हर कोई हर दिन पी सकता है दूध में किस तरह के पोषक तत्व होते हैं हर रोज कितना दूध पीना सेहत के लिए अच्छा है और दूध किसे नहीं पीना चाहिए |

 

  • डॉक्टर अरुण कुमार शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण विशेषज्ञ है वह कहते हैं कि जो लोग सिर्फ शाकाहारी खाना खाते हैं उन्हें दूध जरूर पीना चाहिए, दूध सबके लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि इसमें शुगर होती है जिसे लैक्टोज कहा जाता है इसे पचाने के लिए हमें लैक्टिस नाम के एंजाइम की जरूरत होती है जो हमारी आंतों में होता है इस एंजाइम के बगैर हमें कुछ शारीरिक दिक्कतें आ सकती हैं सबसे ज्यादा लोग गाय का दूध पीते हैं इसके बाद भैंस का दूध इस्तेमाल होता है|  कैलोरी के हिसाब से देखें तो 100 ग्राम गाय के दूध में 67 कैलोरी होती है, लेकिन भैंस के इतने ही दूध में 117 कैलोरी होती है यही वजह है की भैंस का दूध लगातार पीने से वजन बढ़ता है इसी तरह जहां तक वसा यानी फैट का सवाल है तो गाय के 100 ग्राम दूध में 4.5 ग्राम और भैंस के दूध में 6.5 ग्राम फैट होता है |

 

 

 

  • किसे दूध पीना चाहिए और किसे नहीं इस सवाल के जवाब में डॉक्टर अरुण कुमार कहते हैं कि दूध का संबंध पाचन से है कुछ लोग बगैर किसी अपच के सामान्य तौर पर एक लीटर दूध पी जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को आधे गिलास दूध से ही गैस सीने में जलन और डायरिया हो सकता है| ऐसे लोगों को दूध नहीं पीना चाहिए, वह कहते हैं कि क्योंकि दूध में कई पोषक तत्व होते हैं इसलिए बच्चों को दूध देना चाहिए लेकिन इससे उनका वजन बढ़ने लगता है इसलिए बच्चों को सिर्फ दूध ही नहीं देना चाहिए क्योंकि कुछ बच्चे दूध की वजह से दूसरा भोजन लेते हैं दूध के बारे में कई तरह की बातें भी सोशल मीडिया पर फैली रहती हैं जैसे की कोई पहलवान कहता है कि वह एक दिन में कई लीटर दूध पी जाता है |

 

  • ऐसे  में सवाल यह उठता है कि सामान्यतौर पर एक दिन में कितना दूध पीना चाहिए इस बारे में पोषण विशेषज्ञ धारिणी कृष्णा रहती हैं कि दूध पीने की क्षमता लोगों के शरीर और काम पर निर्भर करती है लेकिन एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में 400 मिली लीटर दूध या 400 ग्राम दही ले सकता है इसके साथ ही होम्योपैथिक डॉक्टर श्रवण कुमार कहते हैं कि चीनी मिल दूध पीने से परहेज करना चाहिए क्योंकि दूध में पहले से ही पर्याप्त कैलोरी होती है दूध की किस्म पर भी अब काफी रिसर्च होने लगी है कौन सा दूध बेहतर होता है A1  या A2

 

  • डॉक्टर अरुण कुमार कहते हैं कि दोनों किस्म के दूध के प्रोटीन के बनावट में कुछ अंतर होता है लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत नहीं है कि A1 दूध मानव शरीर के लिए नुकसानदेह है, वह कहते हैं की भैंस का दूध 100 % A2 किस्म का होता है, विदेशी नस्ल की जर्सी गाय भी A2 के सिम का दूध देती है वही धरणीकृष्णन रहती हैं कि A1 और A2 पर रिसर्च करने की जरूरत ही नहीं है अच्छी साफ सुधरी जगह से दूध लेकर पीना ही काफी है|

 

 

 

सदियों पुराने अंधविश्वास भ्रम को तोड़ने का प्रयास करते हैं तो दोस्तों आज मैं दूध के बारे में थोड़ा और विस्तार से आप लोगों को बताने जा रहा हूं कि यह कितना खतरनाक  रोग कारक आहार है

 

  • दोस्तों दूध क्यों हानिकारक है  इसको थोड़ा समझने का प्रयास करते हैं दूध बचपन का आहार है दांत आ जाने के बाद संसार का कोई प्राणी दूध नहीं पीता शिवाय मानव के दोस्तों क्या वास्तव में आप नहीं देखते कि आप केवल मां के स्तन से चिपक कर अब गाय के स्तन से चिपक जाते हैं संसार का प्रत्येक प्राणी अपना निर्धारित आहार खाता है इस तरह मानव को बचपन के बाद दूध शब्द भूलकर अपना जो निर्धारित आहार है वह उसको खाना चाहिए|

 

  • कुछ वैज्ञानिक तथ्य आपके सामने रखने जा रहा हूं कॉमन सेंस और वैज्ञानिक आधार भी कोई भी प्राणी एक दूसरे के दूध का उपयोग नहीं करता न उन पर निर्भर है सिवाय मजबूरी के है और दूसरा हर प्राणी का दूध उसी प्राणी की संतान के पाचन विकास एवं स्वास्थ्य के अनुकूल होता है अन्य प्राणी के स्वास्थ्य पाचन और विकास के लिए नहीं है और तीसरा गाय भैंस के दूध में वह तत्व होते हैं जो शीघ्र बढ़ने वाले बछड़ों के अनुकूल है, जो 2 साल में 2000 पाउंड के बन जाते हैं और मानव धीमी गति से विकास करने वाला प्राणी है जो 20 साल में जाकर जवान बनता है तथा 120 से 150 पाउंड का वजन प्राप्त करता है क्या यह  तेजी से बढ़ाने वाले हार्मोन हमारे धीमी विकास वाले शरीर को गंभीर रूप से अव्यवस्थित एवं असंतुलित नहीं करते और चौथा बाल्यकाल  समाप्त होते ही दूध को पचाने की ग्रंथियां सब प्राणियों में समाप्त हो जाती है |

 

  • 5 से 10 साल की उम्र के बाद मानव में भी एक ग्रंथियां समाप्त हो जाती है इसी कारण दूध का लैक्टोज प्रोटीन पूरा ना पच कर गैस और दस्त पैदा करता है और पांचवा बचपन बाल अवस्था में भी दूध का उपयोग बच्चों व शिशुओं के अनेक रोगों तथा असमय मृत्यु का कारण बनता है हमारे बच्चों को यह जीवित भले ही रख लें परंतु स्वस्थ नहीं रखता बच्चों के लिए अत्यंत भारी अनूपयोगी आहार है दोस्तों दांत ना आने तक प्रकृति ने दूध की व्यवस्था की है दांत पूरे आ जाने के बाद सभी प्राणियों के जीवन से दूध शब्द ही समाप्त हो जाता है जब बाल अवस्था के बाद स्वयं बछड़े को तथा जवान हो जाने के बाद स्वयं गाय को दूध की आवश्यकता नहीं है | ना वह इस पर जीवित रह सकते हैं तो मानव को इस दूध के बछड़े के मुकाबले क्या ज्यादा आवश्यकता है क्या यह सरासर मूर्खता नहीं है कि जब गाय के बछड़े को जो उसकी अपनी संतान है उसको दूध की जरूरत नहीं है तो आपकी संतान को कहां से जरूरत पड़ गई |

 

  • दूध यानी ताजा कच्चा सीधे स्तन से मुंह में जाएं हवा के संपर्क में आते ही दूध विकृत होने लगता है और लाखों कीटाणु पनप जाने से यह अयोग्य आहार बनने लग जाता है उबालने से यह और बेकार हो जाता है क्योंकि इसके लाखों मरे हुए बैक्टीरिया इसमें ही रहते हैं इसलिए दूध को मैं बैक्टीरिया का सूप कहना ज्यादा उचित समझता हूं पाश्चराइज किया गया दूर एक घातक और मुर्दा आहार है , इस दूध से गाय के बछड़े भी शीघ्र रोगी होकर उम्र से पहले मर जाते हैं अगर यह दूध गाय के बछड़े को पीलाया जाए तो और दूध का कैल्शियम हमारे शरीर को कभी नहीं मिलता क्योंकि हम कैल्शियम के चक्कर में दूध पीते हैं ना हमें इसकी कोई आवश्यकता है जो अधिक दूध पीते हैं उनका उल्टे कैल्शियम का क्षय होता है और ऑस्टियोपोरोसिस नामक रोग से वह ग्रस्त हो जाते हैं जिसमें हड्डियां कमजोर होकर मामूली झटके से भी टूट जाती है |

 

 

 

  • फल सब्जी मेवों का भरपूर उपयोग करने वालों में कैल्शियम की कभी कमी नहीं होती पराए दूध में मानव मस्तिष्क के लिए आवश्यक लेसिथिन नहीं होता जो सिर्फ और सिर्फ मां के दूध में होता है दूध भले ही शरीर को चौड़ा कर दें ,लेकिन दिमाग नहीं बढ़ता मस्तिष्क का सही आहार मेवा है दूध नहीं आपको जानकर के हैरानी होगी कि दूध पीने वाले बच्चों का और बड़े लोगों का दिमाग का आईक्यू सबसे लोअर लेवल पर होता है और मेवा खाने वाले प्राणी का दिमाग ज्यादा तेज होता है यह तो आप सब लोग अच्छी तरह जानते हैं कि हम लोगों को दिमाग बढ़ाना होता है तो हम यह नहीं कहते कि दूध पिया कर हम कहते हैं बादाम खाया कर,  दूध का लैक्टोज मानव को कभी नहीं पचता जिससे गैस एलर्जी एवं बदहजमी जैसे अनेक समस्याएं होती है हालांकि दूध के मुकाबले दही शीघ्र पचता है परंतु इसके हानिकारक प्रभाव से हम बच नहीं सकते, दही का दीर्घायु से भी कोई संबंध नहीं है|
  • दीर्घायु का संबंध स्वस्थ मेहनती और सकारात्मक जीवन से हैं किसी विशेष आहार से नहीं सही आहार पर रहने वाले संसार के किसी भी प्राणी को बाहर से किसी बैक्टीरिया रूपी दही की आवश्यकता नहीं होती है और मानव जो है बाहर से बैक्टीरिया खाकर यह समझता है कि शरीर जो है अपने बैक्टीरिया पैदा करने में समर्थ नहीं है मुझे इसको सप्लाई करना पड़ेगा | इस भ्रम से बाहर निकल जाएं शरीर किसी भी बाहरी चीज पर निर्भर नहीं है शिवाय आपके वास्तविक आहार के कोई भी प्राणी किसी अन्य प्राणी के लिए कभी मेहनत नहीं करता न कमाता है कोई प्राणी मानव की आवश्यकता को देखते हुए दूध नहीं देता यह गाय भैंस बकरियां ऊंट आपके लिए नहीं मेहनत करते और घास खाते हैं कि कल मुझे अपना दूध निकाल कर मानव को सप्लाई करना पड़ेगा |

 

  • तो भाई क्यों इन जानवरों की तरफ देखते हो यह इनका तुम्हारा उनके साथ आहार का क्या संबंध है यह तो मुझे आज तक समझ में नहीं आ रहा है दूध ना तो अमृत है और ना स्वास्थ्यवर्धक आहार है, यह श्रेष्ठ केवल गाय के बछड़े के लिए हैं वह भी बाल अवस्था तक,  बाद में नहीं, अन्य सभी प्राणियों के लिए भी यह पराया अनुपयोगी एवं आरोग्य रोग कारक आहार है , दोस्तों स्वास्थ्यवर्धक आहार हम किसे कहेंगे कि जो आहार हमारी ठीक ब्लड केमिस्ट्री के अनुकूल रचा गया है तो क्या गाय भैंस बकरी और ऊंट का दूध आपका ब्लड केमिस्ट्री के अनुसार रचा गया है जो आपकी बॉडी में जाकर फटाफट अवशोषित हो जाएगा,  क्या आपकी बॉडी उनके लिए डिजाइन है यह आपको सोचना बहुत जरूरी है |

 

  • और सबसे बड़ी बात दूध एक अत्यंत कफ कारक श्लेष्मा वाला आहार है इसमें केसिंग नाम का जो प्रोटीन होता है दोस्तों वह हमारे मानव शरीर के लिए अवशोषित करना आसान नहीं होता , तो वह जाकर शरीर में कहीं भी अवरोध पैदा करके बहुत बड़ी-बड़ी बीमारियों में डाल सकता है इसमें कैंसर, हृदय  रोग, एलर्जी, मोतियाबिंद और दमा जैसी  कई बीमारियां होती है,, दोस्तों कई बच्चे जो बहुत ज्यादा हाइपर एक्टिव हो जाते हैं  उसमें दूध का भी एक बहुत बड़ा रोल है |

 

  • दोस्तों हम क्यों गाय को अपनी माता मानते हैं अगर आप अपनी गाय को माता मनाना चाहते हैं तो आप उसकी सेवा करो ना भाई और थोड़ा बहुत कभी कभार इमरजेंसी में कभी कोई दूध पीना पड़ जाए तो एक अलग बात है |  दोस्तों देखिए इमरजेंसी में जिंदा रहना होता है ना तब तो हम कुछ भी खाकर जिंदा रहने का प्रयास जरुर करेंगे और लेकिन रेगुलर आप अगर इसको अपना आहार समझ कर प्रयोग करोगे तो आज नहीं तो कल इसका नुकसान आपको उठना पड़ेगा , समस्या क्या है मालूम है कि यह दूध, अनाज और मांसाहार खाकर हम जल्दी बीमार नहीं पड़ते,  कोई दो चार आठ 10 दिन 15 दिन महीने में बीमार नहीं पड़ते दोस्तों कई साल लग जाते हैं, इसके दुष्प्रभाव को महसूस करने में इसीलिए प्रॉब्लम यह है कि आदमी एकायुक्त विश्वास नहीं कर पता कि क्या दूध सचमुच इतना हानिकारक हो सकता है |

 

  • संसार का कोई प्राणी बचपन के बाद दूध का प्रयोग नहीं करता , सिर्फ मानव भी ऐसा प्राणी है जो जीवन भर एक बच्चा बनकर गाय का दूध का सेवन करता है, मानव को दूध की नहीं बल्कि मेवे की आवश्यकता है भगवान ने ऐसे आपके खाने में क्या कमी रखी भाई जो जानवरों के पीछे भाग कर जानवरों को तंग करते हो और उसके बछड़े को उसकी अपनी मां के दूध से दूर कर देते हो,  आपका असली दूध नारियल, मूंगफली, बादाम जैसी गिरी में छुपा हुआ है अब यह क्यों नहीं खाते दूध वनस्पति से प्राप्त करें, जानवरों से नहीं |

 

  • दूध को त्यागे आप अनेक रोगों से स्वयं मुक्त हो जाएंगे, यह पराया आहार है, आपका नहीं है, केवल अपना ही आहार देता , आरोग्य का पूरा फायदा पराया आहार रोगी करता, कुदरत का सीधा कायदा दूध अमृत है जरूर अपनी संतान के लिए ही दूजे के लिए तो सिर्फ यह रोग का पैगाम है|  तो दोस्तों यह आपका अपना हक है तो मैं बहुत-बहुत शुभकामना देते हुए आपसे विदा लेता हूं|

 

 

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